फ्रेंड्स आज की कविता मान ओर ईमान पर आधारित है।जिसकी कमी ना जाने क्यों कम सी होती जा रही है?और अगर ऐसा ही रहा तो व्यक्ति दो घड़ी साथ बैठकर अपने दुख दर्द किस्से बांटेगा....!इसलिए friends इतने स्वार्थी ना बने की सबके रहने पर भी अकेले रह जायेंगे....।।।।
मान ईमान नहीँ
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उम्मीद बया करती है हर बात
अल्फाज़ कम पड़ जाते है..
बयां करने में.....
हर बात की कोई मंजिल नहीँ
मेहनत भी ना कोई काम आई
आजकल की दुनिया में
ईमान का कोई मान नहीं.....।।
कोशिश करते हैं तोड़ने में
इतना पसीना बहाया है
ना जाने कहा गयी मेहनत
बस तकलीफो का ही आलम है...।।
ये बात मगर सच हो गयी
दुनिया बहुत बदल गयी है
पहले से कोई दिलदरिया नहीं
कोई मन में समंदर नहीँ
ओर आखो में वो प्यार और मोहब्बत नहीँ...।।।।
*************************************************कविता का भावार्थ
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कविता का भावार्थ यही है,की आजकल के लोग धन,दौलत,ओर पेसो के पीछे पागल सा होता जा रहा है,वो इस चक्कर में अपने मान- ईमान करना तो भूल ही जा रहा है,साथ ही उसका ज़मीर भी जैसे मर गया है... यही हाल रहा तो व्यक्ति के पास कोई भी दो घड़ी टिकेगा भी नहीं...क्युकी जिसका ज़मीर मरा उसका कोई नहीं,स्वयं उसका ज़मीर भी नहीं...इसलिए फ्रेंड्स अपने अंदर ज़मीर को नहीं मरने दे इसे जिंदा रखिए ..
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🙏धन्यवाद🙏
,🙏कविता यादव🙏
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