Hi friends👋नमस्कार🙏
फ्रेंड्स आज की कविता मान ओर ईमान पर आधारित है।जिसकी कमी ना जाने क्यों कम सी होती जा रही है?और अगर ऐसा ही रहा तो व्यक्ति दो घड़ी साथ बैठकर अपने दुख दर्द किस्से बांटेगा....!इसलिए friends इतने स्वार्थी ना बने की सबके रहने पर भी अकेले रह जाए....।।।।
************************************************
मान ईमान नहीँ
*************
उम्मीद बया करती है हर बात
अल्फाज़ कम पड़ जाते है..
बयां करने में.....
हर बात की कोई मंजिल नहीँ
मेहनत भी ना कोई काम आई
आजकल की दुनिया में
ईमान का कोई मान नहीं.....।।
कोशिश करते हैं तोड़ने में
इतना पसीना बहाया है
ना जाने कहा गयी मेहनत
बस तकलीफो का ही आलम है...।।
ये बात मगर सच हो गयी
दुनिया बहुत बदल गयी है
पहले से कोई दिलदरिया नहीं
कोई मन में समंदर नहीँ
ओर आखो में वो प्यार और मोहब्बत नहीँ...।।।।
*************************************************
कविता का भावार्थ
****************
आज की दुनिया बहुत बदल गई है।आज लोगो में मान- ईमान जैसी कोई चीज ही देखने को नहीं मिलती।पल मे इंसान मतलब निकल जाने के बाद अजनबी बन जाता हैं।बेईमानी तो उनमें एसे समा गई जैसे ईमान धर्म तो वो जानता ही नहीं।मेहनत करने वाला पूरी जिंदगी मेहनत और ईमानदारी से बिता कर भी कुछ हासिल नहीं कर पाता, और हर जगह बेईमान ही पनप रहा । दोस्तों आपको क्या लगता हैं।मेरी बात कहा तक लाज़मी है।अपने विचार बताइए कमेंट बॉक्स में।
************************************************
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें