#जिंदगी (शीर्षक)
हेलो दोस्तों नमस्कार 🙏
आज की मेरी ये कविता जिंदगी से शिकायत करते हुए कह रही है।जिंदगी तुझसे मुझे ढेरों शिकायत है इतनी की जिसकी कोई सीमा नहीं,पर जिंदगी ये तो बता जब तक रहेगी तब तक क्या इम्तिहान ही लेती रहेगी या थोड़ा बहुत सुकून भी देगी,जो तूने मुझसे छीन लिया या उन्हें वापिस करने का वादा कर !जिंगदी बहुत सताती हैं। या इन इम्तिहानों का अंत कभी करेगी...?
#जिंदगी(शीर्षक)zindagi poem
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मुझे जिंदगी से बस इतनी सी शिकायत
जो चाहा वो दिया नहीं....
मुझे जिंदगी से बस इतनी शिकायत
जो दिया वो मुझे मेरा लगा नहीं....
मुझे जिंदगी से बस इतनी शिकायत
आंखो को खाली कभी छोड़ा नहीं....
मुझे जिंदगी से बस इतनी शिकायत
आशुओ की धाराओं को कोई हिसाब नहीं....
मुझे जिंदगी से बस इतनी शिकायत
जो जरूरी था वो भी छीन लिया....
मुझे जिंदगी से बस इतनी शिकायत
छीन तो लिया ! मिलाने का कोई वादा नहीं...
शिकायत जिंदगी से ढेरों हैं
जिन्दगी तू ही बता तेरे होने से क्या हम हैं...
चल तेरे इशारों पर ही चलते हैं
पर रास्तों पर इतने कंकड़ क्यों है....।
छोटे से जीवन के बहुत ही लंबे
इम्तिहान लेती हैं,अनगिनत तकलीफ़ देती है...।
तू जिंगदी एक बात बताना सच्ची
आखिर जीवन देकर क्यों इतना अकड़ती है
आखिर जीवन देकर क्यों इतना अकड़ती हैं....।
धन्यवाद
कविता यादव
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