Hi friends👋नमस्कार🙏
आज की मेरी ये कविता परिवर्तन पर आधारित है।सोचिए अगर जीवन में वो होए जो हमने कभी सोचा ही नहीं,सूरज को कभी पानी में उतरते हुए, चांद से दो घड़ी बाते करते हुए।प्रथ्वी को अपने हाथो से हिलाते हुए ,ये सोच होती है....!कुछ भी सोच सकते हैं।पर बस परिवर्तन जरूरी है।पर वो परिवर्तन भी अदभुत हो तो बहुत ही अच्छा लगता हैं।नहीं तो बहुत खराब हो जाता है सब....।
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अच्छा सोचे,अपनो की कदर करें(कविता)
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कभी-कभी मेरे दिल मे एक ख्याल आता है
की चांद धरती पे रहता और हम उससे कुछ बात करते।
सूरज नाराज होकर पानी मे डूबकी लगता
सोचिए क्या मन्जर होता...
धरती के दो पंख होते और हम चाबी उसमें भरते
कभी धरती गुस्सा करके कहती ,आज नहीं हिलूंगी
तू भरले कितनी भी चाबी...।।
कभी--कभी सोचने में ये भी आता कि महल
में सो रही होती और परिया आती जगाने
में उनसे कहती अभी क्या समय है,हमें तो लोरिया
सुनना है।
सोचने को तो हम कुछ भी सोचे
पर हमेशा अच्छा सोचें
मद्त लोगो की करे ऐसा भी सोचें
स्वार्थ में जीना भी कोई जीना है
कुछ नहीं अपनो के आँशु कम ही करदे..
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कविता का भावार्थ
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जीवन में परिवर्तन जरूरी है,पर वो परिवर्तन अदभुत और निराला ही होना चाहिए,ताकि जीवन को एक मीठा सुकून मिले।
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धन्यवाद
कविता यादव
🙏🙏🙏🙏
अच्छा सोचे,अपनो की कदर करें(कविता)
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कभी-कभी मेरे दिल मे एक ख्याल आता है
की चांद धरती पे रहता और हम उससे कुछ बात करते।
सूरज नाराज होकर पानी मे डूबकी लगता
सोचिए क्या मन्जर होता...
धरती के दो पंख होते और हम चाबी उसमें भरते
कभी धरती गुस्सा करके कहती ,आज नहीं हिलूंगी
तू भरले कितनी भी चाबी...।।
कभी--कभी सोचने में ये भी आता कि महल
में सो रही होती और परिया आती जगाने
में उनसे कहती अभी क्या समय है,हमें तो लोरिया
सुनना है।
सोचने को तो हम कुछ भी सोचे
पर हमेशा अच्छा सोचें
मद्त लोगो की करे ऐसा भी सोचें
स्वार्थ में जीना भी कोई जीना है
कुछ नहीं अपनो के आँशु कम ही करदे..
धन्यवाद
कविता यादव
🙏🙏🙏🙏
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