HELLO FRIENDS 🙏 नमस्कार🙏
कविता का शीर्षक सोचना
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आज की कविता सोचने पर आधारित है।क्युकी सोचने से कुछ नहीं होता,सोचने को तो हम आसमान पर उड़ सकते है।जो सोचे वो जादू से हमारे पास आ जाता, हम कभी दुखी नहीं होते कोई तकलीफ हमें छू कर भी नहीं जा सकती।पर ये सब बातें सोचने की है।पर एसा होता नहीं क्युकी जो भी होता हैं।करने से होता है,सोचने से नहीं.... ।।।
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सोंचने से कुछ होता तो!सोचिए क्या होता
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सोचने से कुछ हो जाता तो
सोचिए क्या होता...
आसमान पर उड़ती में भी
पंछी बन कर रात सुबह ...
सोचने से कुछ हो जाता तो
सोचिए क्या होता...
दिन को में रात में बदलू या
बदलती दुनिया को . .
कोई नहीं जीता गरीबी में
रहता हर कोई खुशमिजाज....
सोचने से कुछ हो जाता तो
सोचिए क्या होता....
आँशु क्या होते ये पुछते
मुझसे कोई अपना सा....
परेशान सा ना कोई होता
ओर ना कोई कभी थका सा....
सोचने से कुछ हो जाता तो
सोचिए क्या होता....
स्वर्ग यही पर दिख जाता तो
पाप नहीं होता....
हर वक्त ही हम हँसते रहते
समुंदर मुठ्ठी में होता...
सोचने से कुछ होता तो
सोचिए क्या होता....
अपने रिश्ते दूर ना जाते
बेगाने ना यहाँ पे जब आते....
प्यार में कोई दूरि ना होती
अनजाना ना घर मे घुसता....
सोचने से कुछ हो जाता तो
काश अच्छा सब होता.....
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कविता का भावार्थ
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सोचने से कुछ नहीं होता हैं,जो भी होता हैं करने से होता हैं, बन्द आंखो से मुंगेरीलाल जैसे सपने देखने से अच्छा है।खुली आंखों से हर हार पराजय से लड़ कर जीवन में जीत हासिल करे क्युकी सोचने से कुछ नहीं होता।
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🙏धन्यवाद🙏
🙏कविता यादव🙏
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