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मेरी कविता आलस इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता है।ईसमें यही बताया गया हैं कि आलस को अपने से कोसो दूर रखें अपनी मेहनत से जीवन को सफल बनाये,क्योंकि हमारे ये दो हाथ हमें हमारी किस्मत को बदलने में बहुत मद्त करते है।क्योंकि मेहनती व्यक्ति कभी भी रो सकता हैं, दुख भी सह सकता हैं।पर झुक नही सकता हैं..।
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छोटे - छोटे खाबो को पन्नो में उतार दिया
सपनो की नगरी में जाकर अपने को भुला दिया।
खुली आँख से रहते- रहते काफी थक गये
जीवन को सरल बनाने में काफी कष्ट उठा लिया।
मुफ्त में कहा कुछ मिलता हैं
टेढ़े- मेढ़े मार्ग से होकर बहुत गुजरना पड़ता हैं।
सामने अगर रखा हो फल तो भी तो
उसको उठाने का श्रम करना तो पड़ता हैं।
सफलता प्राप्त करने का मार्ग कहा सुगम होता हैं
राह पर कौन अपने गुलाब की पंखुड़िया बिखेरता हैं।
कठिन राह पर चलना आसान काम नहीं होता हैं
पसीना बहुत बहाने पर भी सफलता कौंन थाली में परोस के देता हैं।
दिन करो या रात करो, बहुत अगर आराम करो
खुद को खाने के लिए पर हाथ तो खुद का लगता हैं।
आलस करने वाला व्यक्ति ,कुछ समय ही खुश होता हैं।
पर जो अपना काम स्वयं करे,वो सुकून की नींद लेता हैं।
आलस और कामचोरी को ,अपने से दूर करें
उम्र से कुछ होता नही,अपना काम खुद करें।
************************************कविता का भावार्थ
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कविता का भावार्थ बस इतना हैं।कि आलस को छोड़े, जो भी काम करना है स्वयं करे, किसी भी जरूरत के लिए दूसरों का मुंह देखने की अपेक्षा अपने हाथों को मेहनत के कार्य मे लगाए,क्योंकि आलस इंसान का सबसे बड़ा दुश्मन होता हैं।
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