Hello friends 👋नमस्कार🙏
कविता का शीर्षक समय
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मुझे समय पर आधारित ये गुलज़ार जी ली लाइन बहुत ही अच्छी लगती है आप को भी पसंद आएंगी
इसी समय पर आधारित मेरी कविता समय पड़िये ओर बताइये केसी लगी।
"समय"(कविता)
शब्दो को बयां करती है आँखे
इनमें कुछ यूं ना छुपाए...
समय पर बया कर ही देता है
आशु जो आंखों में आहि जाते है।
दर्द किसी को भी हो!
आशु आँखों मे आही जाते है।
सम्भल कर बोलिये हर बात..
की इंसान है हम भी है।
नहीं सह सकते कोई बात
की एक नाजुक दिल हम भी रखते है।
समय के इस दौर ने मजबूत कर दिया है
तकलीफ सहते-सहते समय को ही
यकायक बदल दिया है
कैसा माहौल बन गया है।
की ठंडी हवाएं भी चले तो डर जाते है।
समय मजबूती से बड़ा जा रहा है।
डर नही कर ये हमसे कहे
जा रहा है।।
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कविता का भावार्थ
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समय यानी वक्त कभी किसी का नहीं होता है,पल मे अपना रूप दिखा देता है क्युकी समय बड़ा बलवान ये ना होए किसी का।घमंड करे तो तोड़े हर मानव का समय के आगे ना चले किसी का
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धन्यवाद🙏
कविता यादव
🙏🙏🙏🙏🙏
धन्यवाद
🙏🙏🙏🙏......कविता ......🙏🙏🙏🙏
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