मझदार में छोड़कर होले से गुजर गई
क्या बात कही तेरी औकाद पता चल गई
माना हम सही है इसलिए बर्दाश्त करते है।
ना काबिल है तू।क्योंकि पीछे से बकवास करते है
कभी लफ्ज़ गलत ना निकालो किसी ओर के लिए
तुम सहन नही कर सकते तो क्यों मुँह खोलते हैं
उतना ही कहना चाहिए इंसान को
जितना सहन कर सको
वरना काबिल तो तू भी नही है।
तुझे देखकर हमने तुझे पडा।
चुप रहने की भी कोई जुबां होती है।
इस बकबक से तो चुपी सही है।
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कविता का भावार्थ
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सही इंसान बनो,कोई भी विपदा ,परेशानी या उलझन हो एक अच्छे और सही इंसान बन कर रहों क्युकी बेमतलब की बकबक से अच्छी चूपी होती है।क्युकी जो सही है उसका साथ उप्पर वाला भी देता हैं। और जो गलत है वो अपनी गलतियों प्र कितने भी प्रदे डाले एक दिन उजागर वो हो ही जाता है।इसलिए सही बनो सही इंसान बन कर रहो।
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धन्यवाद्
🙏
कविता यादव
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👌👌👌👍❤️
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