Hi Friends👋 नमस्कार 🙏
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frinds हम इंसानो में एक डर जरूर होना चाहिए।क्योंकि यही डर हमें प्रत्येक गलत कार्य को करने से रोकता है।इसलिए प्रत्येक व्यक्ति के मन मे एक डर होना जरूरी है।वो भी उसकी भलाई के लिए ही......
उसी सही डर पर आधारित कविता पढ़ियेगा ओर बताइयेगा केसी लगी......
कविता का शीर्षक-- डर
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"ऊंचाइयों से नही गिरने से डरते है
अपने फर्ज से नही, हार ना जाये इसे डरते है।"
जिंदगी भी क्या डर की सहेली है
मिले तो वो साथ !तो डर साथ निभाएगा।
चले तो डर,रास्ता कट तो जाएगा,
जिंदगी डर की केसी सहेली है.....
हँसे तो रहे डर!की खुशी कम तो ना कर जाएगा,
ये डर और दर्द का कैसा रिश्ता है।
की!जिंदगी डर के साथ मिला है,
आशुओँ का इसके साथ गहरा रिश्ता है।
हम जीवन अपना आसानी से कहा जीते है।
कमबख्त! परेशानियों ओर उलझनों में घिरे रहते है।
ये जीवन का कैसा डर है!जिसमे सब सह लेते है।
खुशनसीब है।जिन्हें कोई डर नही....
दोस्तों कल क्या होंगा ....
पर ये डर ,अब भी वही ...
पर ये डर अब भी वही....
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कविता का भावार्थ
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दोस्तों कविता का भावार्थ यही है ,की इंसान ये दिखाए की उसे किसी बात का डर नहीं है,तो ये बात ग़लत है,क्युकी हर व्यक्ति को किसी ना किसी बात का डर हमेशा रहता है....क्युकी उसको अपने जीवन के बारे स्वयं पता रहता है।इसलिए हमेशा निस्वार्थ भाव से अच्छे कार्य करें, प्रतेक व्यक्ती क्युकी कोई ना कोई ग़लती जीवन में प्रतेक व्यक्ति करता है।इसलिए डर जरूरी है।
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