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अहंकार का ज़बाब उप्पर वाला देता है(शीर्षक)

 Hi friends👋नमस्कार🙏
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कविता का शीर्षक मन
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Hi friends नमस्कार आज जो कविता है,वो उन लोगो पर है।जिन्हें अपने पर इतना गुमान होता है।कि वो समझते है।कि हम सही है,ओर हमसे बड़ा कोई नही है। डर क्या होता है।ये तो उन्हें पता ही नही रहता ,इसलिए फ्रेंड्स अहंकार व्यक्ति को उसकी असली पहचान समय आने पर बता देता है।क्योंकि समय बड़ा बलवान होता है।ओर उसके मन की गंदगी क्या है।वो भी दिखा देता है।। इसलिए फ्रेंड्स मन को हमेशा साफ रखिये .....


 

वे काम का गुमान ,मन रखे साफ(कविता)

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कुछ लोग रंग बदल कर सामने आते है।

अपनी औकाद से कुछ ज्यादा सोंचते है।


अपनी अकड़ का गुमान कर डराते है।

ऐसा लगता है,सामने कुछ ज्यादा बनाते है।


मेरी समझ से कुछ परे, कुछ अजीब है।

वास्ता भगवान से रखते है।पर स्वार्थ बस

अपना देखते है.....


देखिए कितने निराले होते है,मोत भी दूसरों 

की ये बोलकर लिखते है..

अपनी जिंदगी शायद इन्हें पसंद नही

उसकी जब पड़ती है,तो सारी अकड़ यही..


इंतजार कर ,तेरा गुमान यही खत्म होंगा

जितना दर्द दिया है,वो तुझे जरूर चुकाना होंगा


तेरे आने के बाद ही मेने कई दर्द सहा है।

मुझे तो शक है,तू क्या इंसान है..

या इंसान बनने का नाटक करता है.......

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कविता का भावार्थ

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कविता का भावार्थ ये हैं।की अहंकार और अकड़ तब तक कि अच्छी है,जब तक आप किसी का दिल ना दुखाए,वरना याद रखीए किसी की तकलीफ का मजाक उड़ाना,उसके साथ बत्मिजी करना, और ज़रा से धन का घमंड करना  कहीं से भी सोभा नहीं देता,इसलिए एसे लोग याद रखिए उसके घर देर है,पर अंधेर नहीं है...

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🙏धन्यवाद🙏   🙏कविता यादव🙏

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