Hi friends ये कविता हास्य कविता है ,कोरोना पर आधारित, जिसने सभी के जीवन पर कुछ ना कुछ प्रभाव जरूर छोड़ा है।तो पड़िये कविता और लुफ्त उठाइये,ओर एक लाइन कमेंट करके जरूर बताइये की कोरोना काल से आपके जीवन मे क्या प्रभाव आया है।
कोरोना काल और जीवन मे बदलाव(हास्य कविता)
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आज सुबह जब उठा तो मैंने
पत्नी जी से चाय मंगाई
पत्नी जी चाय बनाकर
दो घण्टे के बाद लाई
हमनें फिर मन मे ही
बड़े-बड़े सपनो को सँजोया
शायद चाय के साथ आज
बिस्तर पर ही ब्रेकफास्ट मिलेंगा
आज तो बारिश जम के हो रही
अपना दिन तो बस बन ही गया
हमनें सोचा चलो तो तब तक
जग कर क्या करना है
इतनी देर में तो एक नींद
हम ओर निकाल लेंगे जी ...
दो घण्टे के अंतराल पर
पत्नी जी कुछ लेकर आई
हम भी ना कर सके इंतजार
झठ से उठे और बेठ गए जी..
सामने जो देखा तो,हम आपको क्या बतलाये
इतनी देर के बाद भी,बस एक कप ओर प्याला
हमनें पूछा ब्रेकफास्ट कहा है जी..
पत्नी जी गुस्से में बोली चाय लाई हु पी लो जी
हमनें जब चाय पिया तो बोला ये क्या है जी
पत्नी जी मुश्कराकर बोली मशाले वाली चाय है जी
इसमें मेने 2 लोंग डाली है,काली मिर्च,ओर दाल चीनी है।
ज़रा सी अदरक, ओर शक्कर संग चाय पत्ती है।
हमकों आया गुस्सा झल्लाकर बोले
सब्जी भी काट ही देती,ओर तेल मिलाकर
ले आती...
साथ मे दो चार रोटी संग,आचार या
पापड़ ले आती...
पत्नी जी गुस्से में बोली ज्यादा बकवास ना
करना,कोरोना का ये काढ़ा है,घर मे बस
चुपचाप से सुबह यही है पीना...
देखो क्या दिन आ गए,चाय के नाम पर
काढ़ा पी रहे,ओर मनोरंजन के नाम पर
बस दिन भर समाचार सुन रहे.....
है कोरोना देवता ,जीवन ना नर्क बना
जल्दी से तू अब भग जा
जहाँ तेरा घर है...
जिधर से तू आया था ,ओर वही रह आराम से...
😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁😁
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कविता का भावार्थ
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कविता का भावार्थ यही है,की कोई भी समस्या ही चाहे कोरोना जैसी खतरनाक बीमारी है क्यों ना हो सभी समस्या को दुखी होने की अपेक्षा हसंते हुए निपटे ,समस्या छोटी लगने लगती हैं।
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