************************
आज ये जो कविता मैने लिखी हैं, सब्र पर आधारित है।कोई व्यक्ति जब हताश और दुखी होता है।तब उसे बस एक ही बात बोला जाता हैं।सब्र रखिए पर आप भी और में भी ये बात अच्छी तरीके से जानते है।की बोलना आसान है,की
सब्र रखिए पर बहुत मुश्किल होता हैं,अपने दुख और तकलीफ़ के साथ जीना ।
इसलिए ये बोलने से अच्छा की सब्र रखिए उस व्यक्ति की मदत करिए उसके दुखो को कुछ तो कम करने की कोशिश करिए ,जीवन चार दिन का तो होता हैं ,थोड़ा इंसान बनिए और अहंकार को दूर करिए और अगर ये भी नहीं तो please किसी की परेशानियों का ना मजाक उड़ाइए और ना उस व्यक्ति के साथ खड़े होये,क्युकी हताश व्यक्ति एक बार गिरेगा दो बार गिरेगा बाकी अपने को वो स्वयं सम्भाल लेगा ,वो जानता है की जीवन उसका है और हर तकलीफ़ से लड़ना उसकी जिम्मेारी हैं।
सब्र करते - करते
**************
सब्र करते - करते बहुत सह लिया
एक बात तो सिख गए
सब्र इम्तिहान बहुत लेता है....।
चाहे कितना भी दिल में हो
बस बर्दास्त करने का
सलीका सीखा देती हैं...।
ये सब्र ही है,जो इंसान को कठोर बना देता हैं
मजबुती से अपनो को
और खुद को संभलना सीखा देता हैं....।
सब्र के चलते ही दिल में एक आस बन जाती हैं।
हा आज नहीं तो कल का एक वेदनाग्रसत ह्रदय के
साथ ही प्राप्तियों के संतोष का मरहम लगाती हैं...।
यह जीवन एक कटु सच्चाई है, प्रतेक गुजरते हुए दिन के साथ संघर्ष ही दिखाती हैं।
सब्र करे कोई कितना जब सागर मे जाकर नदी का
अस्तित्व ही घुमिल हो जाता हैं....।
हर पल चलते चलते - चलते थक जाता हैं,इंसान
बस एक सुकून की नींद और आराम चाहता है...।
जीवन में इस सब्र के इम्तिहान से हर पल हर जगह
तन्हा बनाती हैं
इंसान की इच्छाशक्ति से ही सफलता मिलती हैं
बस इतना सिखाती है....।
*********************************************
कविता का भावार्थ
****************
कविता का भावार्थ यही है कि सब्र रखिए परंतु अपनी इच्छाशक्ति को मरने मत दीजिए बस अपनी मेहनत और अपने पर विश्वास रखिए फिर आप कोई भी दुख तकलीफ़ से लड़कर जीत जाएंगे,क्युकी आप ने सब्र रखा और उसमे जीत हासिल हुई वो भी अपने दम पर बस खाली हाथ पर हाथ धरे रहने से नही।
*********************************************
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें