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आज की नारी सपे भारी(शीर्षक)


 HI FRIENDS👋 नमस्कार🙏************************

आज की  बहुत आगे निकल गयी है,सभी जंजीरों को तोड़ कर आगे बढ़ रही है।घर से लेकर अंतरिक्ष तक जा चुकी है।

आज की नारी किसी भी पुरुष से, किसी भी कार्य मे पीछे नही है।👏👏👏👏👏👏👏👏

💐💐💐💐💐सत सत नमन आज की नारी को🙏🙏🙏🙏🙏🙏

 


  आज की नारी हूँ(कविता)

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मंजूर नही मुझको ,कोई कमजोर बताए...

मंज़ूर नही मुझको ,कोई मेरा दिल दुखाये...

रास्तो पर चलना !मुझको आता है।

हा.... एक नारी हूँ, जबाब मुझको भी ,देना आता है।


तकलीफ सहती हूँ ,पर कुछ कहती नही हुँ

हर वक्त घर में हूँ, फिर भी उल्हाना सहती हूं

तू मेरे काबिल तो बन,मुझको बदनाम करने वाले...

तू हर वक्त बहार रहता है,तेरे से ज्यादा तेरी पहचान 

रखती हूं.....


ना कर कमज़ोर बनाने की बाते,की में आज

तुझसे ज्यादा हर जगह में रहती हूँ...

अगर में ममता का रूप हूँ...

तो क्रोध में दुर्गा भी बन सकती हूँ।

जलाने की तुझको मूझे जरूरत नही।

की अब ना ...कहने की में हिम्मत रखती हूं....


में दुखी पर्दे के पीछे भी रह सकती हूँ..

पर आज की नारी हूँ जबाब अब ..

में भी दे सकती हूँ...

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कविता का भावार्थ

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इस कविता का भावार्थ इतना ही है,की आज की नारी बहुत आगे निकल गई हैं,किसी से कम नहीं है, हर क्षेत्र में बड़ रही है।एक तरह से ये कहना कि आज की नारी सबपे भारी तो कोई ओचित्य नहीं होंगा।

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 कविता यादव🙏धन्यवाद🙏🙏


कविता यादव...

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